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गाना / Title: ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा - ye zulf agar khul ke bikhar jaae to achchhaa
चित्रपट / Film: काजल-(Kaajal)
संगीतकार / Music Director: रवी-(Ravi)
गीतकार / Lyricist: साहिर लुधियानवी-(Sahir Ludhianvi) गायक / Singer(s): मोहम्मद रफ़ी-(Mohammad Rafi)ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा ये ज़ुल्फ़ ... जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा ये ज़ुल्फ़ ... दुनिया की निगाहों में बुरा क्या है भला क्या ये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा ये ज़ुल्फ़ ... वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है इल्ज़ाम किसी और पे आ जाए तो अच्छा ये ज़ुल्फ़ ...
ye zulf agar khul ke bikhar jaae to achchhaa is raat kii taqadiir sa.Nvar jaae to achchhaa ye zulf ... jis tarah se tho.Dii sii tere saath kaTii hai baaqii bhii usii tarah guzar jaae to achchhaa ye zulf ... duniyaa kii nigaaho.n me.n buraa kyaa hai bhalaa kyaa ye bojh agar dil se utar jaae to achchhaa ye zulf ... vaise to tumhii.n ne mujhe barbaad kiyaa hai ilzaam kisii aur pe aa jaae to achchhaa ye zulf ...
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